निराश्रित मवेशी फसलों को कर रहे तबाह/ किसान रात रात भर जागकर करते हैं खेतों की रखवाली

रिपो. संजय शुक्ला डीहा बलरामपुर
निराश्रित मवेशी फसलों को कर रहे तबाह/ किसान रात रात भर जागकर करते हैं खेतों की रखवाली
मणिपुर बाजार/
बलरामपुर: जिले मैं निराश्रित मवेशियों की तादाद बढ़ती जा रही है। किसान को रात भर जागकर फसलों की सुरक्षा करनी पड़ती है। मवेशी फसलों को तबाह कर रहे हैं। लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए पशु आश्रय स्थल निश प्रयोजन साबित हो रहे हैं। फसल की रखवाली के लिए किसानों ने खेतों में तारा दिल लगा रखा है। इसके बावजूद फसल मवेशियों से नहीं बचा पा रहे हैं।
मालीपुर बाजार बेलवा दम मार सही जना गण गोरिया उदयपुर सिकंदर बुझी रमवापुर चौधरी डीहा समेत सैकड़ों गांव की यही हालत है। किसान पूरी रात अपने खेतों में फसल को बचाने के लिए जुटे रहते हैं। यही नहीं छुपता मवेशियों का झुंड सड़कों पर एकत्रित रहता है। रात में दूर से सड़कों पर घूम रहे मवेशियों का झुंड नहीं दिखता जिसके कारण दुर्घटना होती रहती है। आश्रय स्थलों में पशुओं के चारे व पानी की व्यवस्था भी नहीं है। यदि किसी तरह से यहां छुट्टा मवेशी लाए भी जाते हैं तो देखरेख के अभाव में कुछ ही दिनों में वह वापस चले जाते हैं।
पशु आश्रय स्थलों में नहीं है समुचित व्यवस्था—-
जिले में 108 न्याय पंचायत के सापेक्ष 45 पशु आश्रय स्थल मनरेगा से बने हैं। प्रत्येक आश्रय स्थल की लागत लगभग ₹200000 से अधिक है। बनाए गए पशु आश्रय स्थल में ना तो मवेशियों के पानी पीने की व्यवस्था है और ना ही बिजली की आपूर्ति की जा रही है। यही नहीं पशुओं के चारा रखने की व्यवस्था भी पशु आश्रय स्थलों पर नहीं है। पशु आश्रय स्थलों में मवेशियों के देखभाल की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान व सचिव को सौंपी गई है। मवेशियों की देखभाल के लिए प्रति पशु ₹30 की दर से संबंधित खंड विकास अधिकारियों के खाते में धन भेजा जाता है।
पशु आश्रय स्थलों में 3000 मवेशियों के होने का दावा—–
हालांकि धरातल पर सच्चाई कुछ और है किंतु जिले में दो बृहद पशु आश्रय स्थल बनाए जाने थे। प्रत्येक पशु आश्रय स्थल की लागत 12000000 है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के मुताबिक तुलसीपुर के परसपुर करौंदा में पशु आश्रय स्थल बनकर तैयार हो गया है। जिसमें 305 मवेशी रह रहे हैं। बावजूद इसके पशु आश्रय स्थल के चारों तरफ छुट्टा मवेशियों ने फसलों को साफ कर रखा है और हाल-फिलहाल छोटा मवेशी झुंड के झुंड दिखाई दे रहे हैं। इसी से सरकारी बयान बाजी और धरातल की सच्चाई में साफ अंतर नजर आता है। दूसरी तरफ सदर विकास खंड के सेवकराम पुरवा में वृहद पशु आश्रय स्थल निर्माणाधीन है। ग्राम पंचायत बैरिया सुरजनपुर में बने पशु आश्रय स्थल की देखभाल कर रहे सत्यदेव व विजय सिंह ने बताया कि बाउंड्री वाल ना होने से मवेशी भाग जाते हैं। टीन शेड के नीचे पशुओं को बांधा जाता है। देखभाल में लगे चौकीदार को अब तक मजदूरी नहीं मिली है। इस क्रम में जिलाधिकारी श्रुति शर्मा का बयान है कि जिले में बनाए गए पशु आश्रय स्थलों में निराश्रित पशुओं को रखा जाता है। किसान भाइयों को कोई दिक्कत ना हो सके इसके लिए पूरी कोशिश की जा रही है। मवेशियों की देखभाल के लिए प्रति पशु ₹30 की दर से खर्च किया जाता है। किंतु जिला अधिकारी भी वास्तविक सच्चाई से अवगत नहीं है। वास्तविक सच्चाई यह है कि पशु आश्रय स्थलों के निर्माण में संबंधित ग्राम पंचायत सचिव प्रधान व खंड विकास अधिकारियों ने जमकर लूट मचाई है और वास्तव में जिस मनसा के साथ शासन ने पशु आश्रय स्थलों के लिए इतने रुपए किए थे उसका पांच फ़ीसदी भी समुचित उपयोग नहीं हो पाया है।